Pustakalaya par Nibandh पुस्तकालय पर निबंध
पुस्तकालय पर निबंध पुस्तकालय का महत्व पर निबंध पुस्तकालय के लाभ हिंदी निबंध, pustakalaya par nibandh, pustakalaya ka mahatva par nibandh, pustakalaya ke labh hindi nibandh
![]() |
पुस्तकालय पर निबंध |
प्रस्तावना- मनुष्य के मनमानस में
जिज्ञासा की भावना प्रतिपल जाग्रत होती रहती है। उसकी यह आकांक्षा रहती है कि
सीमित समय में अधिक-से-अधिक जानकारी हासिल कर सके। लेकिन प्रत्येक मनुष्य की अपनी
सीमाएँ होती हैं। प्रायः प्रत्येक मनुष्य में इतनी क्षमता नहीं होती कि मनवांछित
पुस्तकें क्रय करके उनका अध्ययन कर सके। पुस्तकालय मानव की इसी इच्छा की पूर्ति
करता है।
पुस्तकालय का अर्थ- पुस्तकालय का अर्थ है-‘पुस्तकों का घर’, जिस जगह अनेक प्रकार की पुस्तकों को संग्रह होता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है। पुस्तकालयों में मानव मन में उमड़ती-घुमड़ती शंकाओं का निराकरण करके आनन्द की अनुभूति प्राप्त करता है। – पुस्तकालयों के प्रकार-जिन्हें पुस्तकों से लगाव होता है वे अपने घर में निजी पुस्तकालय बना लेते हैं। विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में भी पुस्तकालय होते हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय भी होते हैं जिनमें अधिक-से-अधिक लोग ज्ञान अर्जन कर सकते हैं। सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाएँ ऐसे पुस्तकालयों का संचालन करती हैं। आज पुस्तकों की माँग के फलस्वरूप चलते-फिरते पुस्तकालय भी अवलोकनीय इसके अतिरिक्त वाचनालयों में दैनिक, साप्ताहिक-मासिक पत्रिकाएँ भी सुगमता से पढ़ने को उपलब्ध हो जाती हैं।
पुस्तकालय ज्ञान- विज्ञान, साहित्य एवं संस्कृति का अक्षय कोष होते हैं। प्राचीन ग्रन्थ भी यहाँ उपलब्ध होते हैं। आविष्कार करने वाले यहाँ हर विषय की जिज्ञासा शान्त करते हैं।
पुस्तकालयों में पाठक विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करके मनोरंजन के साथ-साथ अपने ज्ञान का विकास भी करता है। पुस्तकालय के अमूल्य ग्रन्थों से हमें धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों की प्रेरणा मिलती है।
विख्यात पुस्तकालय-पुस्तकालय प्रत्येक
समृद्ध राष्ट्र की आधारशिला होते हैं। नालन्दा तथा तक्षशिला में भारत के गौरवसाली पुस्तकालय थे। आज भी कोलकाता, दिल्ली,
वाराणसी तथा पटना में बहुत से प्रसिद्ध पुस्तकालय हैं।
प्राचीन साहित्य की रक्षा करनेवाले पुस्तकालय ही हैं । इस दृष्टि से पुस्तकालय हमारी इस नवीन सभ्यता के जन्मदाता हैं । पुस्तकालयों का सदस्य बनकर हम घर बैठे उन दूरस्थ देशों की पुस्तकें पढ़ते और मनन करते हैं; उन देशों की सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करते हैं तथा उनके ज्ञान-विज्ञान से लाभ उठाते हैं ।
किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के उत्थान में पुस्तकालयों का अपना विशेष महत्व है । इनके माध्यम से निर्धन छात्र भी महँगी पुस्तकों में निहित ज्ञानार्जन कर सकते हैं । पुस्तकालय में एक ही विषय पर अनेक लेखकों व प्रकाशकों की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जो संदर्भ पुस्तकों के रूप में सभी के लिए उपयोगी होती हैं । कुछ प्रमुख पुस्तकालयों में विज्ञान व तकनीक अथवा अन्य विषयों की अनेक ऐसी दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जिन्हें सहजता से प्राप्त नहीं किया जा सकता है ।
अत: हम पाते हैं कि पुस्तकालय ज्ञानार्जन का एक प्रमुख श्रोत है जहाँ श्रेष्ठ लेखकों के महान व्याख्यानों व कथानकों से परिपूर्ण पुस्तकें प्राप्त की जा सकती हैं । इसके अतिरिक्त समाज के सभी वर्गों- अध्यापक, विद्यार्थी, वकील, चिकित्सक आदि के लिए एक ही स्थान पर पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जो संपर्क बढ़ाने जैसी हमारी सामाजिक भावना की तृप्ति में भी सहायक बनती हैं ।
पुस्तकालयों में मनोरंजन संबंधी पुस्तकें भी उपलब्ध होती हैं । पुस्तकालयों का महत्व इस दृष्टि से और भी बढ़ जाता है कि पुस्तकें मनोरंजन के साथ ही साथ ज्ञानवर्धन में भी सहायक सिद्ध होती हैं । पुस्तकालयों में प्रसाद, तुलसी, शेक्सपियर, प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकारों, कवियों एवं अरस्तु, सुकरात जैसे महान दार्शनिकों और चाणक्य, मार्क्स जैसे महान राजनीतिज्ञों की लेखनी उपलब्ध होती है । इन लेखनियों में निहित ज्ञान एवं अनुभवों को आत्मसात् कर विद्यार्थी सफलताओं के नए आयाम स्थापित कर सकता है ।
उपसंहार- पुस्तकालय ज्ञान का ऐसा
पवित्र एवं स्वच्छ सरोवर हैं जिसमें स्नान करके मन एवं मस्तिष्क को एक नयी ऊर्जा
प्राप्त होती है। हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि हम पुस्तकालयों का क्षमता के
अनुसार प्रयोग करने का अधिक-से-अधिक प्रयत्न करें। पुस्तकालय के अपने कुछ
निर्धारित नियम होते हैं जिनका पालन करना हर मानव का दायित्व है। आज हमें देश की
धरती पर एक ऐसे पुस्तकालय की स्थापना करनी चाहिए, जहाँ
ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, कला एवं संगीत
सभी विषयों की पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हो सकें। उन्नत पुस्तकालय देश के भावी
कर्णधारों के लिए एक अमूल्य धरोहर है जो उनके जीवन के लिए प्रगति का एक सबल माध्यम
है।
यह भी पढ़ें :-
पर्यावरण प्रदूषण पर हिंदी निबंध
समय का महत्व वा सदुपयोग पर हिंदी निबंध
विधार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व
15 अगस्त स्वतंत्रा दिवस पर भाषण