वृक्षारोपण
प्रस्तावना- भारत
प्रकृति का पालना है। यहाँ की धरती पर चहुँओर हरियाली दृष्टिगोचर होती है।
कहीं-कहीं वनों में मयूर नृत्य करते हुए नजर आते हैं तो कहीं कोयल की मधुर कूक
सुनायी देती है। यह हरियाली, सुषमा वृक्षों के
कारण अस्तित्व में है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही वृक्षों को अति
महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। वृक्षों की छाया में बैठकर ही ऋषि-मुनियों ने
ज्ञान को अर्जित किया था। प्राणिमात्र के पालन-पोषण के उपयोगी तत्वों के स्रोत वन
ही थे। अतः इनके आरोपण और संरक्षण की अति आवश्यकता है।
वृक्षों
पर कुठाराघात- आज का मानव पूरी तरह भौतिकवादी बन गया है। लोभ के वशीभूत होकर
उद्योगों के नाम पर विशाल पैमाने पर वृक्षों का विनाश कर रहा है। वृक्षों को पूर्ण
वयस्क होने में वर्षों लग जाते हैं लेकिन उन्हें कटने में कुछ ही समय लगता है।
प्रकृति से दूर होने के कारण आज मनुपुत्र अनेक रोगों का शिकार हो रहा है।
वृक्षों
की उपयोगिता- वृक्ष मानव के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। वनों से जीवनदायिनी औषधि
प्राप्त होती है। भवनों . को बनाने के लिए दियासलाई तथा कागज बनाने में भी वनों की
लकड़ी आवश्यक है। इन वृक्षों से फल-फूल, वनस्पति,
औषधि, जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं। धरती पर
प्राण वायु संचरित होती है। वनों से पहाड़ों का कटाव रुकता है। नदियों को उचित
बहाव मिलता है। इमारती लकड़ी, आश्रय आदि सभी मिलते हैं।
वृक्ष
विषाक्त गैस कार्बन डाइ- ऑक्साइड का शोषण करके मानव को बीमारियों से बचाते हैं।
नदियों के किनारे लगे वृक्ष . भूमि के कटाव को रोकते हैं। वृक्ष लगाना एक तरह से
परोपकार की कोटि में आता है। ये हमें प्राण वायु देते हैं।
सरकार
का प्रयास- हमारी राष्ट्रीय सरकार ने आज वनों की सुरक्षा तथा वृक्षों को बढ़ाने का
संकल्प लिया है। प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव सप्ताह सम्पन्न किया जाता है। यदि कोई
स्वार्थी व्यक्ति इन वृक्षों को काटता है तो कानून की दृष्टि से वह अपराध का भागी
होता है।